डिसकैलकुलिया – इस रोग से बाधित बच्चें शीघ्र नहीं पहचाने जाते हैं। इन बच्चों में गणितीय योग्यता कम होती हैं। ये बच्चे जोड़ , घटा , गुणा , भाग करनें में अत्यधिक देर करते हैं । माता - पिता इन्हें सुस्त , आलसी कहते हैं । गणित के अतिरिक्त अन्य विषयों में इनका कार्य ठीक होता है । लक्षण – v गणितीय कार्य करने में कठिनाई v संख्याओं का पहचानने में समस्या v बड़ा – छोटा , परिध , क्षेत्रफल आदि को समछने में कठिनाई v समय , दूरी , गहराई , से जुड़ी समस्याएं v रूपये पैसे के लेन देन सम्बन्धी कठिनाई उपचार – इन बच्चो के लिए गणित का अभ्यास व बहुइन्द्रिय प्रयोग कराया जाए । खेल विधि , प्रश्नोत्तर विधि तथा वास्तविक जीवन अनुभव के माध्यम से सिखाया जाए।
डिसग्राफिया – डिसग्राफिया भी अधिगम असमर्थता का कारण हैं। इसका सम्बन्ध लिखनें की बाधिता से है । इससे बाधित बच्चों द्वारा लिखे गए शब्दों का पढ़ने में कठिऩाई होती है । लेखन धीमा , भद्दा व त्रुटिपूर्ण होता है , बालक शीघ्र थक जाता है तथा उगंलियो में दर्द होता है । लक्षण – Ø लेखन सामाग्री कार्यो में कठिनाई Ø कलम पकड़ने का ढ़ंग ठीक से नहीं होता है Ø अक्षरों का आकार समझने में कठिनाई होती है Ø शब्दो वाक्यों के बीच अन्तराल अनियमित होता है Ø वाक्य छोड़कर या पुनरावृत्त करते है शैक्षिक उपचार – इन बच्चो को लिखने का अभ्यास करवाया जाय । खेल विधि का प्रयोग किया जाय